उत्थान पथ
ॐ
श्री राम चरितमानस तथा श्री मद्भगवद्गीता
में से चुने हुये इन दोहे, चौपाइयों और श्लोकों में
उच्चतम धर्म के व्यवहारिक दर्शन का सार है
जिस के पठन, मनन और
व्यवहारिक जीवन में घटित करने के प्रयास से
सर्वांगी (अध्यात्मिक तथा लौकिक) उत्थान निश्चित है ।
में से चुने हुये इन दोहे, चौपाइयों और श्लोकों में
उच्चतम धर्म के व्यवहारिक दर्शन का सार है
जिस के पठन, मनन और
व्यवहारिक जीवन में घटित करने के प्रयास से
सर्वांगी (अध्यात्मिक तथा लौकिक) उत्थान निश्चित है ।
निवेदन
प्रातः और सायं दोनों समय पाठ करने से प्रत्येक सप्ताह में गीता एवं
रामायण का एक पाठ हो जायेगा । केवल एक ही समय पाठ करने से दो सप्ताह में
होगा । पाठ के समय सभी परिवार-जन का सम्मिलित होना अति उत्तम है । पाठ के
साथ शब्दार्थ तथा मनन अत्यन्त लाभदायक है ।
प्रति दिन – प्रार्थना
सोमवार – उन्नति का मार्ग
मंगलवार – इन्द्रियों व मन का निग्रह
बुधवार – श्री कृष्ण को अतिशय प्रिय
गुरुवार – देवता और असुर
शुक्रवार – सात्विक कर्म और कर्ता
शनिवार – वास्तविक तप और सुख
रविवार – अभयदान
मंगलवार – इन्द्रियों व मन का निग्रह
बुधवार – श्री कृष्ण को अतिशय प्रिय
गुरुवार – देवता और असुर
शुक्रवार – सात्विक कर्म और कर्ता
शनिवार – वास्तविक तप और सुख
रविवार – अभयदान
यत्र योगेश्वरः कृष्णो यत्र पार्थो धनुर्धरः।
तत्र श्रीर्विजयो भूतिर्ध्रुवा नीतिर्मतिर्मम ॥
तत्र श्रीर्विजयो भूतिर्ध्रुवा नीतिर्मतिर्मम ॥
श्रीकृष्णार्पणमस्तु ।
हरि ॐ
jai shree Ram
ReplyDeleteFrom desk of Sadhak Ajey :
ReplyDeletePujya Babuji had made several selections and compilations from Ram Charit Manas for his own spiritual development. To commemorate significant function / occasion, he published them in the form of a book / book-let.
One of the earliest book-let was "Utthan Path," published at the time of Krishna Bua's marriage on 27th Nov. 1956.
It was so popular and dear to everyone that its revised version was published as " Sadhna Paath" (in Hindi) in 1971 by Sasta Sahitya Mandal. Its English version was later on published in 1987 as "Sadhna Path by Bhartiya Vidya Bhawan.
It was felt that the younger generation, which is more at home with the English language, find it hard to read and understand the meaning of several chaupaees as also doha, chhand etc. written in Hindi.
Even at the cost of repetition, our communication is based on the Utthan path, each week day being assigned a value or attribute. Let me place on record that these were salient part of paarivaarik prarthana for more than 2 decades. No wonder, most of our siblings remember them by heart.
For some strange reason, the reference no. has not been published in Utthan Path or Sadhna Paath or Sadhna Path.
Each week day's selection comprises of :--
1. Opening doha,
2. Eight chaupaaee, and
3. Closing doha,
पूज्य बाबूजी ने हमारे जैसे साधकों की सुविधा के लिए श्रीरामचरित मानस तथा श्रीमदभगवद्गीता से अनेक बार selection करके उन संकलनो को विभिन्न headings देकर पुस्तिकाओं के रूप में प्रकाशित करवाया था।
इन में 'उत्थान पथ' ( श्री गिरिजा प्रकाशन ), 'साधना पथ' ( सस्ता साहित्य मंडल प्रकाशन ) और Sadhna Path ( Bhartiya Vidya Bhawan Publication ) लोकप्रिय रहे हैं।
प्रिय भाई अनिल के अनुरोध पर तथा अमिता जी के आग्रह पर Sadhna Path में दिए हुए English Translation को आधिकारिक अनुवाद मान कर उत्थान पथ के दोहे-चौपाइयों-छंदों का day-wise संकलन प्रति दिन भेजने का हम लोगों ने संकल्प लिया हैं
I am basing my communication model on the principle : " Utna hee khilao, jitna pachaa sake. "